तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ - The Indic Lyrics Database

तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - लीडर | वर्ष - 1964

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तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
कि मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ
मेरे दिल में कसक-सी होती है
तेरी राह से जब मैं गुजरती हूँ
इस बात से ये ना समझ लेना
कि मैं तुझ से मोहब्बत करती हूँ
तेरी बात में गीतों की सरगम
तेरी चाल में पायल की छमछम
कोई देख ले तुझ को एक नज़र
मर जाये तेरी आँखों की कसम
मैं भी हूँ अजब एक दीवाना
मरता हूँ ना आहें भरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
कि मैं तुझ से मोहब्बत करता हूँ
मेरे सामने जब तू आता है
जी धक् से मेरा हो जाता है
लेती है तमन्ना अंगड़ाई
दिल जाने कहाँ खो जाता है
महसूस ये होता है मुझको
जैसे मैं तेरा दम भरती हूँ
इस बात से ये ना समझ लेना
कि मैं तुझ से मोहब्बत करती हूँ