तेरे चेहरे में वो जादू है, बिन डोर खिंचा जाता हूँ - The Indic Lyrics Database

तेरे चेहरे में वो जादू है, बिन डोर खिंचा जाता हूँ

गीतकार - इन्दीवर | गायक - किशोर कुमार | संगीत - कल्याणजी आनंदजी | फ़िल्म - धर्मात्मा: | वर्ष - 1975

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तेरे चेहरे में वो जादू है, बिन डोर खिंचा जाता हूँ
जाना होता है और कहीं, तेरी ओर चला आता हूँ
तेरी हीरे जैसी आँखें, आँखों में हैं लाखों बातें
बातों में रस की बरसातें, मुझ में प्यार की प्यास जगाए
तू जो एक नज़र डालें, जी उठे मरनेवाले
लब तेरे अमृत के प्याले, दिल में जीने की आस बढ़ाए
चल पड़ते हैं तेरे साथ कदम मैं रोक नहीं पाता हूँ
जब से तुझ को देखा है, देख के खुदा को माना है
मान के दिल ये कहता है, मेरी खुशियों का तू है खजाना
दे दे प्यार की मंज़ूरी, कर दे कमी मेरी पूरी
तुझसे थोड़ी भी दूरी, मुझको करती है दीवाना
पाना तुझको मुश्किल ही सही, पाने को मचल जाता हूँ