चंचल, शीतल, निर्मल, कोमल - The Indic Lyrics Database

चंचल, शीतल, निर्मल, कोमल

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - सत्यम शिवम सुन्दरम | वर्ष - 1978

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चंचल, शीतल, निर्मल, कोमल
संगीत की देवी स्वर सजनी
सुंदरता की हर प्रतिमा से
बढ़कर है तू सुन्दर सजनी
कहते हैं जहाँ ना रवि पहुँचे
कहते हैं वहाँ पर कवि पहुँचे
तेरे रंग रूप की छाया तक न रवि पहुंचे न कवि पहुंचे
मैं छूने लगूँ तू उड़ जाए, परियों से तेरे पर सजनी
तेरे रसवंती हाथों का मैं गीत कोई बन जाऊँगा
सरगम के फूलों से तेरे सपनों की सेज सजाऊंगा
डोली में बैठ के आएगी, जब तू साजन के घर सजनी
ऐसा लगता है, टूट गए सब तारें, टूटके सिमट गए
गोरे गोरे एक चन्दा से रंगीन बदन पे लिपट गए
बनकर नथ, कंगन, करधनिया, घुंघरू झुमके झूमर सजनी