चमन के फूल भी तुझको गुलाब कहते हैं - The Indic Lyrics Database

चमन के फूल भी तुझको गुलाब कहते हैं

गीतकार - फारुख कैसर | गायक - लता मंगेशकर - मोहम्मद रफी | संगीत - जी. एस. कोहली | फ़िल्म - शिकारी | वर्ष - 1963

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चमन के फूल भी तुझको गुलाब कहते हैं
हमीं नहीं हैं सभी लाज़बाब कहते हैं
नज़र मिला के मेरे दिल की बात पहचानो
सुना है चेहरे को दिल की किताब कहते हैं
साज़-ए-दिल छेड़ दिया है तो ये नग़्मा सुन लो
बिखरी बिखरी है मेरे प्यार की किरणें चुन लो
इसी किरण को सनम आफ़ताब कहते हैं
हमीं नहीं हैं सभी लाज़बाब कहते हैं
चश्म-ए-हैरां की क़सम
ज़ुल्फ़-ए-परेशां की कसम
मांग लो जान तुम्हें आज मेरी जां की कसम
गज़ब की बात है ये क्या ज़नाब कहते हैं
आज तक देखी नहीं ऐसी बहकती आँखें
डाल दो हँस के इन आँखों में छलकती आँखें
संभल के पीना इसे सब शराब कहते हैं
हमीं नहीं हैं सभी लाज़बाब कहते हैं