जाने कितने दुख साह कर देखी तेरी दुनिया हैं - The Indic Lyrics Database

जाने कितने दुख साह कर देखी तेरी दुनिया हैं

गीतकार - असद भोपाली | गायक - मुकेश | संगीत - दत्ताराम | फ़िल्म - फरिश्ता | वर्ष - 1968

View in Roman

जाने कितने दुख सह कर पत्थर हीरा बनता है
बरसों की क़ुर्बानी से इन्सान फ़रिश्ता बनता हैदेखी तेरी दुनिया अरे देखे तेरे काम
किसी घर में सुबह किसी घर में शाम
देखी तेरी दुनिया ...ये दुनिया है मीत ख़ुशी की दुख में शामिल कोई नहीं
सब हैं घायल करने वाले इनमें घायल कोई नहीं
जो औरों के दर्द में तड़पे क्या ऐसा दिल कोई नहीं है -२
देखी तेरी दुनिया ...इक आँगन में उजली किरनें इक आँगन में है अँधियारा
इक दामन में महकी कलियाँ इक दामन में है अंगारा
अपना सुख जो सबको बाँटे दर-दर भटके वो दुखियारा -२
देखी तेरी दुनिया ...सीधा रस्ता चलने वाला हर मंज़िल पे ठोकर खाए
सच को दुनिया धोखा समझे झूठ के आगे सर को झुकाए
सबका हमदम सबका साथी इस दुनिया में कुछ ना पाए -२
देखी तेरी दुनिया ...दोरंगी चाल समय की दुख में ठहरे सुख में भागे
चाहे दुख हो चाहे सुख हो दिल है वही जो निस-दिन जागे
जो करता है जग में ऐसा वो आता है उसके आगे
देखी तेरी दुनिया ...