चलो एक बार फिर से, अजनबी बन जाये हम दोनो - The Indic Lyrics Database

चलो एक बार फिर से, अजनबी बन जाये हम दोनो

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - महेंद्र कपूर | संगीत - रवि | फ़िल्म - गुमराह | वर्ष - 1963

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चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
न मैं तुम से कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ नज़रों से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशक़दमी से
मुझे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रुसवाईयाँ हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ अभी गुज़री हुई रातों के साये हैं
तआरुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
तअल्लुक़ बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा