मन रे तू काहे ना धीर धारे - The Indic Lyrics Database

मन रे तू काहे ना धीर धारे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चित्रलेखा | वर्ष - 1964

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मन रे तू काहे ना धीर धरे
वो निर्मोही मोह ना जाने, जिनका मोह करे
मन रे ...इस जीवन की चढ़ती ढलती
धूप को किसने बांधा
रंग पे किसने पहरे डाले
रुप को किसने बांधा
काहे ये जतन करे
मन रे ...उतना ही उपकार समझ कोई
जितना साथ निभा दे
जनम मरण का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे
मन रे ...