कुश रहो हर कुशी है तुम्हारे लिए - The Indic Lyrics Database

कुश रहो हर कुशी है तुम्हारे लिए

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मुकेश | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - सुहागरात | वर्ष - 1968

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ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिये -२
छोड़ दो आँसुओं को हमारे लिये -२
ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लियेक्यों उदासी की तस्वीर बन कर खड़े
ग़म उठाने को दुनिया में हम तो पड़े
मुस्कराने के दिन हैं न आहें भरो -२
मेरे होते न ख़ुद को परेशाँ करो
ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिये -२बिजली चमके तुम्हें डर की क्या बात है
रोशनी की यही तो शुरूवात है
टूटनी है जो बिजली मेरा सर तो है -२
जो अंधेरे हैं बेघर मेरा घर तो है
ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिये -२तुम बहारों से शिकवा न करना कभी
दे दो काँटे हमें फूल ले लो सभी
फूल कोई कुचल जाये जब भूल में -२
सोच लेना के हम मिल चुके धूल में
ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिये
छोड़ दो आँसुओं को हमारे लिये -२
ख़ुश रहो हर ख़ुशी है तुम्हारे लिये -२