बुलबुल आ तू भी गा - The Indic Lyrics Database

बुलबुल आ तू भी गा

गीतकार - पंडित इंद्र | गायक - खुर्शीद, सहगान | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - शहंशाह बाबर | वर्ष - 1944

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चाहते हो गर भलाई आशिक़ो

चाहते हो गर भलाई आशिक़ो

दिल लुटेरों को लुटाना छोड़ दो

शादी कर लो ज़िंदगी आराम से कट जाये

आँखें लड़ाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

मचलने वाले मचलते जायेंगे

अरे हुस्न के साँचे में ढलते जायेंगे

प्यार करना आज कल है दिल्लगी

देख कर अरमान जलते जायेंगे

बेवफ़ाई का गरम बाज़ार है

अब इश्क़ की धज्जी उड़ाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

शादी कर लो ज़िंदगी आराम से कट जाये

आँखें लड़ाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

हाँ मिलते हैं हँसते बड़े अंदाज़ से

अरे बात करते झूमते हैं नाज़ से

जो कहीं लट्टू बने बरबाद हो

अरे दूर रहना क़सम खा लो आज से

मुसकरायें गर तुम्हें वो देख कर

तुम मुस्कुराना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

शादी कर लो ज़िंदगी आराम से कट जाये

आँखें लड़ाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

थाम कर दिल आह भरना छोड़ दो

अरे उनकी गलियों से गुज़रना छोड़ दो

वो बला से तुमपे मरते हों मरें

मगर तुम परवाह करना छोड़ दो

देखना गर चाहते हो देख ले

पर पीछे जाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

शादी कर लो ज़िंदगी आराम से कट जाये

आँखें लड़ाना छोड़ दो

हाँ छोड़ दो हाँ छोड़ दो

शादी कर लो ज़िंदगी आराम से कट जाये