ज़िंदगी के सफ़र में अकेले द हम - The Indic Lyrics Database

ज़िंदगी के सफ़र में अकेले द हम

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - नर्तकी | वर्ष - 1963

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ज़िंदगी के सफ़र में, अकेले थे हम
मिल गए तुम तो दिल को सहारा मिला
आ गए इक नए रास्ते पर क़दम
जब तुम्हारी नज़र का इशारा मिलाज़िंदगी को तमन्ना थी हमराज़ की
पाज़-ए-दिल की ज़रूरत थी आवाज़ की
तुमने जब मुस्कुराकर पुकारा हमें
ज़िंदगी को खुशी का नज़ारा मिलाअब ज़माने का डर है न दुनिया का ग़म
अपनी तक़दीर पर नाज़ करते हैं हम
आज आँखों को जलवे तुम्हारे मिले
आज हाथों को दामन तुम्हारा मिला