नज़रों में समाने से क़रार - The Indic Lyrics Database

नज़रों में समाने से क़रार

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - राजकुमारी | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - हैदराबाद की नाज़नीन | वर्ष - 1952

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आ आ आऽऽऽऽऽऽऽऽ
नज़रों में समाने से क़रार आ न सकेगा
तुम पास नहीं दिल को ये बहला न सकेगा
तस्वीर निगाहों में ख़ामोश तुम्हारी
जो सुन नहीं सकती कभी फ़रियाद हमारी
ये खाली तसव्वुर किसी काम आ न सकेगा
तुम पास नहीं दिल को ये बहला न सकेगा
आ आऽऽऽ नज़रों में समाने...
आयेगा ख़याल आके
ओह ओह ओह
आयेगा ख़याल आके गुज़रता ही रहेगा
आहें कोई दिल थाम के भरता ही रहेगा
तस्कीन की सूरत कोई बतला न सकेगा
तुम पास नहीं दिल को ये बहला न सकेगा
आ आऽऽऽ नज़रों में समाने...
टकरायेंगे हम सर कभी दीवार से दर से
हर साँस में उबलेगा लहू ज़ख़्म-ए-जिगर से
दिल ढूँधेगा
आ आ आ
दिल ढूँधेगा तड़पेगा तुम्हें पा न सकेगा
तुम पास नहीं दिल को ये बहला न सकेगा
आ आऽऽऽ नज़रों में समाने...