मिले टू फिर झुके नहीं नजर वाही प्यार की - The Indic Lyrics Database

मिले टू फिर झुके नहीं नजर वाही प्यार की

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - आकाशदीप | वर्ष - 1965

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मिले तो फिर झुके नहीं नज़र वही प्यार की
नादान दिल तुझे क्या मालूमउल्फ़त की तो घबराना आज़ार से क्या
दिल दे बैठे तो फिर जीत से क्या हार से क्या
दिल की बाज़ी है जीत हार की
मिले तो फिर झुके नहीं ...मन में जलती कुछ तपती सी प्यास लिए
पथ में बैठे रहे रोज़ नई आस लिए
यही झूठ होता है इंतज़ार की
मिले तो फिर झुके नहीं ...न सही कलियाँ दामन को गुलज़ार करें
जो मिले चाहत का खार तो हम प्यार करें
रंगत उसमें भी है बहार की
मिले तो फिर झुके नहीं ...