दिल की महफिल सजी है चले आइए - The Indic Lyrics Database

दिल की महफिल सजी है चले आइए

गीतकार - खुमार बाराबंकवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - साज़ और आवाज़ | वर्ष - 1966

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दिल की महफ़िल सजी है चले आइए -२
आपकी बस कमी है चले आइए
दिल की महफ़िल ...हुस्न वालों का कोई भरोसा नहीं
क्या अप्ता आप आते भी हैं या नहीं -२
आँख दर पे लगी है चले आइए
दिल की महफ़िल ...दिल दुखाने लगी दिल्लगी आपकी
मार डालेगी ये बेरुख़ी आपकी -२
जान पर बन गई है चले आइए
दिल की महफ़िल ...क्या सुहाना समाँ क्या हसीं रात है
वादा कर के न आना बुरी बात है -२
अब तो हद हो चुकी है चले आइए
दिल की महफ़िल ...