साकिया आज मुजे निन्द नहीं आएगी - The Indic Lyrics Database

साकिया आज मुजे निन्द नहीं आएगी

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - साहिब बीबी और गुलाम | वर्ष - 1962

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आ : साक़िया -२
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी
नींद नहीं आयेगीसाक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है
आँखों-आँखों में यूँ ही रात गुज़र जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा हैको : साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है
आँखों-आँखों में यूँ ही रात गुज़र जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है -२आ : आ
साक़ी है और शाम भी
उल्फ़त का जाम भी
हो
तक़दीर है उसी की
जो ले इनसे काम भीरंग-ए-महफ़िल है रात भर के लिये
को : रंग-ए-महफ़िल है रात भर के लिये
आ : सोचना क्या अभी सहर के लिये
को : सोचना क्या अभी सहर के लियेआ :रंग-ए-महफ़िल है रात भर के लिये
सोचना क्या अभी सहर के लिये
तेरा जलवा हो तेरी सूरत हो
और क्या चाहिये नज़र के लिये -२
आज सूरत तेरी बेपरदा नज़र आयेगी
को : सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है
साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है -२आ : आ
मोहब्बत में जो मिट जाता है
वो कुछ कह नहीं सकता
हाँ
ये वो कूचा है जिसमें
दिल सलामत रह नहीं सकता
किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
को : किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
आ : कौन है जिसके लब पे आह नहीं
को : कौन है जिसके लब पे आह नहींआ : किसकी दुनिया यहाँ तबाह नहीं
कौन है जिसके लब पे आह नहीं
हुस्न पर दिल ज़रूर आयेगा
इससे बचने की कोई राह नहीं -२
ज़िन्दगी आज नज़र मिलते ही लुट जायेगी
को : सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है
आ : ओ ओ ओ
को : साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी
आ : आ आ आ
को : आँखों-आँखों में यूँ ही रात गुज़र जायेगी
सुना है तेरी महफ़िल में रतजगा है -२