जज्बा ए इश्क जो सलामत है तो इंशा अल्लाह - The Indic Lyrics Database

जज्बा ए इश्क जो सलामत है तो इंशा अल्लाह

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - मैं शादी करने चला | वर्ष - 1962

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र : जज़्बा-ए-इश्क़ जो सलामत है तो इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में चले आएँगे सरकार बँधेइश्क़ में जब शिकवे लब तलक़ आएंगे
दिल तो दिल पत्थर भी सुन के हिल जाएँगे
( इश्क़ की हम पे ) -२ इनायत है तो इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में ...सु : जज़्बा-ए-इश्क़ जो सलामत है इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में ...इश्क़ में जब शिकवे लब तलक़ आएंगे
दिल तो दिल पत्थर भी सुन के हिल जाएँगे
( इश्क़ की हम पे ) -२ इनायत है तो इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में ...हम पुकारें लेकिन आप रुक जाते हैं
दो क़दम चलने में पाँव दुख जाते हैं
( ये अदाओं की ) -२ नज़ाकत है तो इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में ...र : दिल को क्या रोकोगे दिल तो बेक़ाबू है
सु : हाय बड़ा ही ज़ालिम प्यार का जादू है
र : आपको हमसे
सु : आपको हमसे
दो : आपको हमसे मोहब्बत है तो इन्शा-अल्लाह
कच्चे धागे में ...