हमसफ़र अब ये सफ़र कत जाएगा - The Indic Lyrics Database

हमसफ़र अब ये सफ़र कत जाएगा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - जुआरी | वर्ष - 1968

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मु : हमसफ़र अब ये सफ़र कट जाएगा
ल : रास्ते में जी न अब घबराएगा
दो : हमसफ़र अब ये सफ़र ...मु : किस क़दर रंगीन हैं लम्हात ये
हमक़दम पहले कहाँ थी बात ये
कोई हसरत थी न कोई याद थी
ज़िन्दगी क्या थी कोई फ़रियाद थी
दिल मेरा तो मुझसे भी अनजान था
एक पत्थर की तरह बेजान था
प्यार तेरा अब इसे धड़काएगा
दो : हमसफ़र अब ये सफ़र ...ल : सूनी राहें और काली रात थी
अपनी तो परछाईं भी ना साथ थी
हर क़दम पर आ रहा था ये ख़्याल
तन्हा मंज़िल तक पहुँचना है मुहाल
ऐसे ही वीरान से एक मोड़ पर
जी उठी मैं तेरी सूरत देख कर
अब ये वीराना चमन कहलाएगा
दो : हमसफ़र अब ये सफ़र ...मु : मेरी नज़रों को है दुनिया से गिला
चल दिया वो छोड़कर जो भी मिला
ल : मुझपे लोगों ने किये हैं जो सितम
मैं बड़ी मुश्क़िल से भूली हूँ सनम
मु : देखना तू भी यही करना नहीं
दिलजलों से दिल्लगी करना नहीं
उम्र भर वरना ये ग़म तड़पाएगा
ये मुसाफ़िर राह में रह जाएगा
ल : ये रहा वादा न दिन वो आएगा
दो : हमसफ़र अब ये सफ़र ...