कहीं क़रार ना हो और कहीं कुशी ना मिले - The Indic Lyrics Database

कहीं क़रार ना हो और कहीं कुशी ना मिले

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - चांदी की दीवार | वर्ष - 1964

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कहीं क़रार न हो और कहीं ख़ुशी न मिले
हमारे बाद किसी को ये ज़िन्दगी न मिलेसियाह-नसीब कोई उनसे बढ़के क्या होगा -२
जो अपना घर भी जला दें तो रोशनी न मिले
हमारे बाद किसी को ...यही सुलूक है गर आदमी से दुनिया का -२
तो कुछ अजब नहीं दुनिया में आदमी न मिले
हमारे बाद किसी को ...ये बेबसी भी किसी बद्दुआ से कम तो नहीं
के खुल के जी ना सके और मौत भी न मिले
हमारे बाद किसी को ...