दुनिया प्यारी-प्यारी रे - The Indic Lyrics Database

दुनिया प्यारी-प्यारी रे

गीतकार - अमर वर्मा | गायक - खुर्शीद | संगीत - सुधीर फड़के | फ़िल्म - आगे बढ़ो | वर्ष - 1947

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एक कली नाज़ों की पली

एक कली नाज़ों की पली

एक कली नाज़ों की पली रहती थी सदा गुलज़ारों में

चर्चा था उसके यौवन का

चर्चा था उसके यौवन का नीले आकाश के तारों में

इक दिन खेल रही थी हँस हँस के

हा हा हा हा

इक दिन खेल रही थी हँस हँस रंग बरंगे फूलों में

झूल रही थी झूला डाले पुष्पलता के झूलों में

इतने में इक भँवरे ने उस कली से नैन मिलाये

नैनों की भाषा में जाने क्या क्या भेद बताये

कली जो हँस कर फूल बनी तब भँवरा आ गया पास

छिन भर में फिर चीन लिया सब रंग रूप और बास