धिरे रे चलो मोरी बांकी हिरानिया - The Indic Lyrics Database

धिरे रे चलो मोरी बांकी हिरानिया

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मुकेश | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - जौहर महमूद इन गोवा | वर्ष - 1965

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धीरे रे चलो मोरी बांकी हिरनिया
कमर न लचके हाय सजनिया
धीरे रे चलो ...तेरी बिखरी ज़ुल्फ़ें देख देख ये मस्त घटा शरमाई
हो देखो मस्त घटा शरमाई
तेरा रूप जो देखा झूम झूम ली बिजली ने अंगड़ाई
हो ली बिजली ने अंगड़ाई
काले बाल गोरा रूप जैसे साए में हो धूप
तुझे देख जिया भरमा ही गया
हो धीरे रे चलो ...क्यूं दिल की राहें छोड़ छोड़ ये फूल चला ख़ारों पे
ये फूल चला ख़ारों पे
तेरा पिघले ऐसे रूप कि जैसे मोम हो अंगारों पे
जैसे मोम हो अंगारों पे
तेरा मुखड़ा गुलाबी तेरी चाल शराबी
मुझे राम कसम नशा आ ही गया
हो धीरे रे चलो ...