ओ चाँद मेरे चाँद मेरे क्यूँ दूर खड़ा शरमाये - The Indic Lyrics Database

ओ चाँद मेरे चाँद मेरे क्यूँ दूर खड़ा शरमाये

गीतकार - पंडित इंद्र | गायक - उमा देवी | संगीत - NA | फ़िल्म - चंद्रलेखा | वर्ष - 1948

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ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज़

ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज़

हो गई सरसों पीलीपीली

आज हरी कल लाल चदरिया परसों ओढ़ूँ नीली

ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज़

हो गई सरसों पीलीपीली

सुबोह को पहनूँ तो सजनवा आसपास मण्डलाये

शाम को पहनूँ तो बलम घर छोड़ कहीं न जाये

बलम घर छोड़ कहीं न जाये

रात अन्धेरी हो तो हो जाऊँ

जुगनूँ सी चमकीली

ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज़

हो गई सरसों पीलीपीली

मन में नई उमंग अंग में चुनरी ढीलीढीली

अपने पिया से कुछ न सीखूँ

जब न मुझे तन ढीली पड़ गई

जब न मुझे तन ढीली

होंठ रंगूँ मैं लालगुलाबी

आँखों से शर्मीली

ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज़

हो गई सरसों पीलीपीली