सुलग उठी दिल की लगी जले हैं परवणे - The Indic Lyrics Database

सुलग उठी दिल की लगी जले हैं परवणे

गीतकार - न्याय शर्मा | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - किनारे किनारे | वर्ष - 1963

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सुलग उठी दिल की लगी जलते हैं परवाने
रोति हैं तक़दीरें हँसते हैं अफ़सानेइक आँधी ऐसी भी इस दिल पर छाई है -२
अपनों का ज़िक्र ही क्या जरचे हैं बेगानेशाम भी है जज़्बें भी दिल भी है मस्ती भी -२
आ भी जा तेरी राह तकते हैं वीराने