और कुछ देर थाहर और कुछ देर ना जा - The Indic Lyrics Database

और कुछ देर थाहर और कुछ देर ना जा

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - आखिरी खाट | वर्ष - 1966

View in Roman

और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठहर ...रात बाक़ी है अभी रात में रस बाक़ी है
पाके तुझको तुझे पाने की हवस बाक़ी है
और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठहर ...जिस्म का रंग फ़ज़ा में जो बिखर जायेगा
महरबान हुस्न तेरा और निखर जायेगा
लाख ज़ालिम है ज़माना मगर इतना भी नहीं
तू जो बाहों में रहे वक़्त ठहर जायेगा
और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठहर ...ज़िंदगी अब इन्हीं क़दमों पे लुटा दूँ तो सही
ऐ हसीन बुत मैं ख़ुदा तुझको बना दूँ तो सही
और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा
और कुछ देर ठहर ...