वो देखो जला घर किसी कास - The Indic Lyrics Database

वो देखो जला घर किसी कास

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - अनपढ़ | वर्ष - 1962

View in Roman

वो देखो जला घर किसी का ये टूटे हैं किसके सितारे
वो क़िस्मत हँसी और ऐसे हँसी के रोने लगे ग़म के मारे
वो देखो जला ...गया जैसे झोंका हवा का हमारी ख़ुशी का ज़माना
दिए हमको क़िस्मत ने आँसू जब आया हमें मुस्कराना
बिना हमसफ़र है सूनी डगर किधर जाएँ हम बेसहारे
वो देखो जला ...हैं राहें कठिन दूर मंज़िल ये छाया है कैसा अँधेरा
कि अब चाँद-सूरज भी मिलकर नहीं कर सकेगा सवेरा
घटा छाएगी बहार आएगी ना आएँगे वो दिन हमारे
वो देखो जला ...इधर रो रही हैं आँखें उधर आसमाँ रो रहा है
मुझे कर के बरबाद ज़ालिम पशेमान अब हो रहा है
ये बरखा कभी तो रुक जाएगी रुकेंगे ना आँसू हमारे
वो देखो जला ...