लूटे कोई मन का नगर, बनके मेरा साथी - The Indic Lyrics Database

लूटे कोई मन का नगर, बनके मेरा साथी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता - मनहर उधास | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - अभिमान | वर्ष - 1973

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लुटे कोई मन का नगर बनके मेरा साथी
कौन है वो, अपनों में कभी ऐसा कहीं होता है
ये तो बड़ा धोखा है
यहीं पे कहीं है मेरे मन का चोर
नजर पड़े तो बैय्या दूँ मरोड़
जाने दो, जैसे तुम प्यारे हो
वो भी मुझे प्यारा है, जीने का सहारा है
देखो जी, तुम्हारी यही बतियाँ
मुझको हैं तड़पाती
रोग मेरे जी का, मेरे जी का चैन
साँवला सा मुखडा, उसपे कारे नैन
ऐसे को रोके अब कौन भला
दिल से जो प्यारी है, सजनी हमारी है
का करूँ मैं बिन उसके रह भी नहीं पाती