लोगों ना मारो इसे - The Indic Lyrics Database

लोगों ना मारो इसे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा भोसले | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - अनामिका | वर्ष - 1973

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लोगों ना मारो इसे, यही तो मेरा दिलदार है
दिल से जो दिल टकराए, नहीं दुश्मनी, ये प्यार है
हम ज़रा जो उलझ गए, क्यों लड़ाई समझ गए?
प्यारी प्यारी ये थी हमारी, मोहब्बत की दिल्लगी ज़रा
काहे को रूठा दीवाना मेरा, तू ही तो सपना सुहाना मेरा
ये लो सैया मैं ही हारी, उल्टा पड़ा निशाना मेरा
यूँ तो शुरू से हूँ मैं, तुम ही पर ये दिल हारे हुए
लेकिन खफ़ा हो के तुम, तो आज और भी प्यारे हुए
प्यार था तो सताया तुम्हें, रंग अदा का दिखाया तुम्हें
कैसा नादान भोला भाला, अभी तक है मस्ताना मेरा
काहे को रूठा दीवाना मेरा ...
तेरे मिलन से यूँ ही, महकता रहे मेरा जहाँ
सदा सजी रहूं गले, कभी ना ढले अब ये समां
तेरी चाहत जवानी मेरी, तेरा ग़म जिंदगानी मेरी
तुझ को चाहूँ तुझ ही को पूजू , यही बस हो अफ़साना मेरा
काहे को रूठा दीवाना मेरा ...