चल री सजनी अब क्या सोचे - The Indic Lyrics Database

चल री सजनी अब क्या सोचे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - बंबई का बाबू | वर्ष - 1960

View in Roman

चल री सजनी, अब क्या सोचे
कजरा ना बह जाए रोते-रोते
बाबुल पछताए हाथों को मल के
काहे दिया परदेस टुकड़े को दिल के
आँसू लिए सोच रहा दूर खड़ा रे
ममता का आँचल, गुडियों का कंगना
छोटी बड़ी सखियाँ, घर गली अंगना
छूट गया, छूट गया, छूट गया रे
दुल्हन बनके गोरी खड़ी है
कोई नहीं अपना कैसी घड़ी है
कोई यहाँ, कोई वहाँ, कोई कहाँ रे