हर तराह के जज्बात का ऐलन हैं आंखें - The Indic Lyrics Database

हर तराह के जज्बात का ऐलन हैं आंखें

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - आंखें | वर्ष - 1968

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हर तरह के जज़्बात का ऐलान हैं आँखें
शबनम कभी शोला कभी तूफ़ान हैं आँखेंआँखों से बड़ी कोई तराज़ू नहीं होती -२
तुलता है बशर जिसमें वो मीजान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात ...आँखें ही मिलाती हैं ज़माने में दिलों को -२
अनजान हैं हम-तुम अगर अनजान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात ...लब कुछ भी कहें इससे हक़ीक़त नहीं खुलती
इनसान के सच-झूठ की पहचान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात ...आँखें न झुकें तेरी किसी ग़ैर के आगे -२
दुनिया में बड़ी चीज़ मेरी जान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात ...उस मुल्क़ की सरहद को कोई छू नहीं सकता -२
जिस मुल्क़ की सरहद की निगेहबान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात ...