हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी के हर ख़्वाहिश पे दम निकले - The Indic Lyrics Database

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी के हर ख़्वाहिश पे दम निकले

गीतकार - ग़ालिब | गायक - सी एच आत्मा | संगीत - बुलो सी रानी | फ़िल्म - (गैर फिल्म) | वर्ष - 1956

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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी के हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

कहाँ मयखाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब्' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले$