देखो देखो जी बगान में फूलों के मेले हैं - The Indic Lyrics Database

देखो देखो जी बगान में फूलों के मेले हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - फर्ज़ | वर्ष - 1967

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( देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बाग़ों में फूलों के मेले हैं
फिर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम हम तुम ) -२ऐसे रूठो ना हमसे ख़ुदा के लिये -२
के हम हैं तैयार हर इक सज़ा के लिये
जो चाहे कह लो हमसे सुन लो हमसेदेखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बाग़ों में फूलों के मेले हैं
फिर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम हम तुमहुस्न तो इश्क़ की दास्ताँ बन गया -२
जी इश्क़ ऐसे में क्यूँ बेज़ुबाँ बन गया
हाँ छोड़ो ना ही कह दो कुछ तो बोलोहाँ देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बाग़ों में फूलों के मेले हैं
फिर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम हम तुममहबूब हमारे तुम्हें क्या पता -२
के हर कली बन गई आज महबूबा
ऐसे में तुम भी हमको दिलबर कह दोहाँ ( देखो देखो जी
सोचो जी कुछ समझो जी
बाग़ों में फूलों के मेले हैं
फिर क्यूँ अकेले हैं
हम तुम हम तुम हम तुम हम तुम ) -२