जब रात है ऐसी मतवाली, फिर सुबह का आलम क्या होगा - The Indic Lyrics Database

जब रात है ऐसी मतवाली, फिर सुबह का आलम क्या होगा

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मुगल-ए-आजम | वर्ष - 1960

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ये दिल की लगी कम क्या होगी
ये ईश्क भला कम क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
नग्मों से बरसती है मस्ती
छलके हैं खुशी के पैमाने
आज ऐसी बहारें आई हैं
कल जिनके बनेंगे अफसाने
अब इस से ज्यादा और हसीन
ये प्यार का मौसम क्या होगा
ये आज का रंग और ये महफील
दिल भी है यहाँ दिलदार भी है
आँखों में कयामत के जलवे
सीनें में तडपता प्यार भी है
इस रंग में कोई जी ले अगर
मरने का उसे ग़म क्या होगा
हालत है अजब दिवानों की
अब खैर नहीं परवानों की
अंजाम-ए-मोहब्बत क्या कहीए
लय बढ़ने लगी अरमानों की
ऐसे में जो पायल टूट गई
फिर ऐ मेरे हमदम क्या होगा