जिस घर के लोगों को अरे हम पंछी एक डाल के - The Indic Lyrics Database

जिस घर के लोगों को अरे हम पंछी एक डाल के

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - हम पंछी एक डाल के | वर्ष - 1957

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जिस घर के लोगों को सुबह झगड़ते देखा है
शाम हुई कि घर वही उजड़ते देखा है
अरे बनती नहीं है बात झगड़े से कभी यारों
अरे बनती बात को बिगड़ते देखा हैअरे हम पंछी ( एक डाल के ) -२
संग-संग डोलें जी संग-संग डोलें
बोली अपनी-अपनी बोलें जी बोलें जी बोलें जी बोलें
को : संग-संग डोलें ...दिन के झगड़े दिन को भूलें रात को सपनों में हम झूलें
धरती बिछौना नीली चदरिया मीठी नींदें सो लें जी सो लें जी सो लें
को : संग-संग डोलें ...