दुपट्टे की गिरह में बंध लिजी - The Indic Lyrics Database

दुपट्टे की गिरह में बंध लिजी

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - अपने हुए परये | वर्ष - 1964

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दुपट्टे की गिरह में बाँध लीजिए
मेरा दिल है कभी काम आएगा
दुपट्टे की गिरह में ...ये माना तुम हसीं हो नाज़नीं हो
मेरे दिल में तुम ही पर्दानशीं हो
कहाँ ले जाओगी तुम ऐसी सूरत
कभी तो होगी साथी की ज़रूरत
मेरा दिल है इसे साथी बना लो
इसे अपनी निगाह में छुपा लो
दुपट्टे की गिरह में ...मेरे दिल से अब न दामन बचाओ
तुम्हें मेरी क़सम है तुम पास आओ
मेरा दिल प्यार में डूबा हुआ है
तुम्हारी याद में खोया हुआ है
मेरा दिल आपसे बढ़कर हसीं है
हसीनों की तरह क़ातिल नहीं है
दुपट्टे की गिरह में ...जवानी तक हैं ये सारे झमेले
न होंगे आशिक़ के फिर ये मेले
करेगी ये उमर जब बेवफ़ाई
चुरा लेगी नज़र सारी ख़ुदाई
मेरा दिल ही तुम्हें देगा सहारा
बनेगा तूफ़ाँ में किनारा
दुपट्टे की गिरह में ...