दिल गम से जल रह है जाले पर धुआं ना हो - The Indic Lyrics Database

दिल गम से जल रह है जाले पर धुआं ना हो

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - शाम | वर्ष - 1961

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दिल ग़म से जल रहा है जले, पर धुआँ न हो
मुमकिन है इसके बाद कोई, इम्तेहां न होदुनिया तो क्या ख़ुदा से भी घबराके कह दिया -२
वह महर्बां नहीं तो कोई महर्बां न हो
दिल ग़म से ...लूटा ख़ुशी ने आग लगा दी बहार ने -२
बरबाद इस तरह भी किसी का जहाँ न हो
दिल ग़म से ...अब तो वहीं सुकूं मिलेगा मुझे जहाँ -२
ये संगदिल ज़मीं न हो, आस्मां न होदिल ग़म से जल रहा है जले, पर धुआँ न हो