चाँदी का बदन सोने की नज़ारी - The Indic Lyrics Database

चाँदी का बदन सोने की नज़ारी

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान, आशा भोंसले, मीना कपूर, मन्ना दे | संगीत - रोशन | फ़िल्म - ताज महल | वर्ष - 1963

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ंअले:
चाँदी का बदन सोने की नज़र
उस पर ये नज़ाकत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
किस किस पे तुम्हारे जल्वों ने
तोड़ी है क़यामत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
चाँदी का बदन सोने की नज़रFएमले:
गुस्ताख़्ह ज़ुबाँ गुस्ताख़्ह नज़र
ये रंग-ए-तबियत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
ऐसे भी कहीं इस दुनिया में
होती है मुहब्बत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
ग़ुस्ताख़्ह ज़ुबाँ गुस्ताख़्ह नज़रंअले:
आँचल की धनक के साये में
ये फूल गुलाबी चेहरों के
ये फूल गुलाबी हाये गुलाबी चेहरों के
इस वक़्त हमारी नज़रों में
क्या चीज़ है जन्नत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
इस वक़्त हमारी नज़रों मेंतुमसे नज़रें जो मिलीं
दीन-ओ-दुनिया से गये
इक तमन्ना के सिवा
हर तमन्ना से गये
मस्त आँखों से जो पी
जाम-ओ-मीना से गये
ज़ुल्फ़ लहराई जहाँ
हम भी लहरा से गये
हूरें मिलती हैं किसे
इस की परवाह से गये
इस की परवाह से, परवाह से, परवाह से गयेइस वक़्त हमारी नज़रों में
क्या चीज़ है जन्नत क्या कहिये
एजी क्या कहिये
चाँदी का बदन सोने की नज़रFएमले:
यूँ गर्म निगाहें मत डालो
ये जिस्म पिघल भी पिघल भी सकते हैं
ये जिस्म पिघल भी सकते हैं
उड़े न कहीं रूप की शबनम *
गर्म निगाहें डालो कम-कम *
आदाब-ए-नज़ारा भूले हो-२
तुम लोगों की वहशत क्या कहिये
एजी क्या कहियेतुम हमें जीत सको
इस का इम्कान नहीं
ख़्हुद को बदनाम करें
हम वो नादाँ नहीं
कोई मरता है मरे
हम पे एहसान नहीं
उन से क्यूँ बात करें
जिन से पहचान नहीं
तुम को अरमाँ है तो है
हम को अरमान नहीं
हम को अरमान के अरमान के अरमान नहीं
आदाब-ए-नज़ारा भूले हो
तुम लोगों की वहशत क्या कहिये
एजी क्या कहियेगुस्ताख़्ह ज़ुबाँ गुस्ताख़्ह नज़रंअले:
जिन लोगों को तुम ठुकरा के चलो *
वो लोग भी क़िस्मत वाले हैं *
तुम जिस की तमन्ना कर बैठो *
उन लोगों की क़िस्मत क्या कहिये *
एजी क्या कहियेये जवानी ये अदा **
क्यों न मग़रूर हो तुम **
फ़र्श पर उतरी हुई **
अर्श की हूर हो तुम **
शोख़्ह जल्वों की क़सम **
शोला-ए-तूर हो तुम **
कोई देखे तो कहे **
नशे में चूर हो तुम **तुम जिस की तमन्ना कर बैठो *
उन लोगों की क़िस्मत क्या कहिये *
एजी क्या कहियेचाँदी का बदन सोने की नज़रFएमले:
दिन रात दुहाई देते हैं
ये हाल है इन दीवानों का
जहाँ देखी नई सूरत मचल बैठे
यही, यही, यही लेंगे
ये हाल है इन दीवानों का दीवानों कांअले:
जिन की ख़्हातिर ग़म सहें और रो-रो जाँ गवायेँ
हाय री क़िस्मत उंहीं के मूँह से दीवाने कहलायेँFएमले:
इन आशिक़ों के हाथ है
ऐ ज़िंदगी बवाल
इन का करें ख़्हयाल के
अपना करें ख़्हयाल
हर लब अर्ज़-ए-शौक़ तो
हर आँख है सवाल
ये ग़म से बेक़रार है
वो दर्द से निढालअरेय ये हाल है इन दीवानों का
ये हाल है इन दीवानों कांअले:
मेरी नींद गई मेरा चैन गया
वो जो पहले थी ताब-ओ-तबान गई
यही रंग रहा यही ढंग रहा
तो ये जान लो जान की जान गईये हाल है इन दीवानों का-२Fएमले:
किसी को ख़्हुद-ख़्हुशी का, शौक़ हो तो, क्या करे कोईंअले:
दवा-ए-हिज्र दे, बीमार को, अच्छा करे कोईFएमले:
कोई बेवजह सर फोड़े तो क्यों परवाह करे कोईंअले:
किसी मजबूर-ए-ग़म का हाल क्यों ऐसा करे कोईFएमले:
मज़ा तो है के जब तुम,
तुम तड़पा करो,
देखा करे कोईंअले:
मरें हम और तुम पर,
के तुम पर ख़्हून का
दावा करे कोईहाँ, दावा करे कोईये हाल है इन दीवानों का, दीवानों काFएमले:
जीते भी नहीं मरते भी नहीं
बेचारों की हालत क्या कहिये
एजी क्या कहियेचाँदी का बदन सोने की नज़र