हटो काहे को झुठि बनाव बतियां - The Indic Lyrics Database

हटो काहे को झुठि बनाव बतियां

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मन्ना दे | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - मंज़िल | वर्ष - 1960

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हटो काहे को झूटीइ बनाओ बतियाँग़ैर का साथ है और रोज़ मुलाक़ातें हैं
प्यार है उस के लिये और हम से फ़क़त बातें हैं
जाओ जाओ जाओ झूठी बात न बनाओ
जल रही विरह में सैंया और न जलाओ
हटो काहे को झूटी ...ये उड़ी उड़ी सी रंगत
ये खुले खुले से गेसु
तेरी सुबह कह रही है
तेरी रात का फ़सानादेखो जी किसी का प्यार हम से न छुपाओ
सब हमें पता है प्यारे नैन न झुकाओ
सुनो कहती है क्या क्या तुम्हरी अखियाँ
हटो काहे को झूटी ...