नरज़ सवेरा है नज़ादिक सवेरा हैं - The Indic Lyrics Database

नरज़ सवेरा है नज़ादिक सवेरा हैं

गीतकार - समीर | गायक - कुमार सानू | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - संघर्ष | वर्ष - 1999

View in Roman

नाराज़ सवेरा है हर ओर अंधेरा है
कोई किरन तो आए कहीं से आए आए
नाराज़ सवेरा हैज़िंदगी तन्हाईयों का कर्ज़ है नाम है
हर खुशी ढलती हुई दुख भरी शाम है
साँसों के खज़ानों का ये वक़्त लुटेरा है
कोई किरन तो ...रात की खामोशियों में अनसुना शोर है
खींचती बांधे बिना ही कौन सी ये डोर है
बेजान सलाखों ने मेरी रूह को घेरा है
कोई किरन तो ...वो मेरे बचपन का मौसम वो ज़माना खो गया
मौत के साए में रह के बेजुबां मैं हो गया
ज़ख्मों की ज़मीनों पे ज़ुल्मों का बसेरा है
कोई किरन तो ...नज़दीक सवेरा है पल भर का अंधेरा है
मेरे लिए ना अश्क़ बहाओ जाओ जाओ
नज़दीक सवेरा हैदे रहा मुझको सदाएं वो खुला आसमां
ले रहीं मेरी बलाएं वो हसीं वादियां
तुम लाओ उजालों को सपना यही मेरा है
दिन हैं खुशी के गीत मिलन के गाओ गाओ