गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - हुस्नलाल-भगतराम | फ़िल्म - अदल-ए-जहांगीर | वर्ष - 1955
View in Romanदेखो जाता है कोई ग़म का सहारा लेकर
अपने कंधों पे मोहब्बत का जनाज़ा लेकरअपना ही घर लुटाने दीवाना जा रहा है
खुद शमा को बुझाने परवाना जा रहा है
अपना ही घर लुटाने ...ये नज़ारा देखो ओ प्यार करने वालों
एक आँसुओं में डूबा अफ़साना जा रहा है
अपना ही घर लुटाने ...ख़ामोश है मोहब्बत फ़रियाद रो रही है
अपना ही आज बनकर बेगाना जा रहा है
अपना ही घर लुटाने ...