लहरों पे लहर उल्फत है जवां - The Indic Lyrics Database

लहरों पे लहर उल्फत है जवां

गीतकार - एस रतन | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - स्नेहल भटकर | फ़िल्म - छबिली | वर्ष - 1960

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लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवां
रातों की सहर, चली आओ यहाँ
सितारे टिमटिमाते हैं, तू आजा आजा
मचलती जा रही है ये हवाएं आजा आजा
लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवां ...सुलगती चाँदनी में थम रही है तुझ पे नजर
कदम ये किस तरफ़ बढ़ते चले जाते हैं बेखबर
ज़माने को है भूले हम अजब सी ख्वाब ये सफ़र
लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवान ...ना जाने कौनसी राहें हमारा कौन सा है जहान
सहारे किसके हम ढूँढे, हमारी मंजिल है कहाँ
सदा दिल की मगर कहती है मेरी दुनिया है यहाँ
लहरों पे लहर, उल्फ़त है जवां ...