ओ साजन छुटा है जो दामन तेरा - The Indic Lyrics Database

ओ साजन छुटा है जो दामन तेरा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त, सहगान, हेमंत कुमार | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - हीर | वर्ष - 1956

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गी: ओ साजना, छूटा है जो दामन तेरा
मंज़िल-मंज़िल है अँधेरा, ओ साजनाहे:जा दिलरुबा, तेरे साथ चला दिल मेरा
रहे प्यार निगहबाँ तेरा, जा दिलरुबा
जा दिलरुबाको:प्रीत लगा के ग़म से आहें भरना क्या
राह चले तो काँटों से फिर डरना क्यागी: अई ओ, दिल की तमन्ना पूरी होने न पाई
आ के जीगर पे लगा तीर-ए-जुदाई, ओ साजना
ज़रा देख तड़पना मेरा,
मंज़िल-मंज़िल है अँधेरा, ओ साजनाहे:जा दिलरुबा, दिल को तेरे बहलाऊँगा
उम्मीद का तारा बन के
झूमूँगा आँखों में तेरी
मंज़िल का नज़ारा बन के
जा दिलरुबा, नहीं दूर मिलन का डेरा
रहे प्यार निगहबाँ तेरा, जा दिलरुबाको:प्रीत लगा के...गी: अई ओ, होंगीं जो सूनी-सूनी उल्फ़त की राहें
ढूँढा करेंगी तुझको मेरी निगाहें
ओ साजना, मैं ले के चली ग़म तेरा
मंज़िल-मंज़िल है अँधेरा, ओ साजनाहे:जा दिलरुबा, याद हमारी बन के चाँदनी
राह में खिल जाएगी
क़दम-क़दम पर तुझको धड़कते दिल की सदा आएगी
जा दिलरुबा, तेरी राह में सब कुछ मेरा
रहे प्यार निगहबाँ तेरा, जा दिलरुबागी: ओ साजना, छूटा है जो दामन तेरा
मंज़िल-मंज़िल है अँधेरा, ओ साजनाहे:जा दिलरुबा