लाख करे अपनी मनमानी क़िस्मत के खेल निराले - The Indic Lyrics Database

लाख करे अपनी मनमानी क़िस्मत के खेल निराले

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर, सहगान | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तलाश | वर्ष - 1957

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ल: लाख करे अपनी मनमानी ये मूरख इंसान
आख़िर होना है वही जो चाहे भगवानक़िस्मत के खेल निराले -२
ख़ुशियों का जल बरसाते हैं ग़म के बादल काले
क़िस्मत के खेल निरालेहोनी बात बने अनहोनी धूप बने बरसात
को: आ
ल: होनी बात बने अनहोनी धूप बने बरसात
पतझड़ में भी फूल खिले हैं ये क़िस्मत की बात -२
होने वाली बात टले ना -२
कभी किसी के टाले
को: ख़ुशियों का जल बरसाते हैं ग़म के बादल काले
क़िस्मत के खेल निरालेल: चाहें दुश्मन लाख किसी की राह में काँटे बोये -२
को: राह में काँटे बोये जी राह में काँटे बोये
ल: लिक्खा है तक़दीर में जो कुछ आख़िर को वो होये
को: आख़िर को वो होये जी आख़िर को वो होये
ल: लिक्खा है तक़दीर में जो कुछ आख़िर को वो होये
फिर भी अपने आप को समझे -२
सब कुछ दुनिया वाले
को: ख़ुशियों का जल बरसाते हैं ग़म के बादल काले
क़िस्मत के खेल निराले
ख़ुशियों का जल बरसाते हैं ग़म के बादल काले
क़िस्मत के खेल निराले