हमन उन रहों पे चलना हैं - The Indic Lyrics Database

हमन उन रहों पे चलना हैं

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - आरती मुखर्जी, सुबीर सेन | संगीत - रॉबिन बनर्जी | फ़िल्म - मासूम | वर्ष - 1960

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हमें उन राहों पर चलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है वो दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना हैको: हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना हैजब तक न लगन हो सीने में
बेकार है ऐसे जीने में
जब तक न लगन हो सीने में
बेकार है ऐसे जीने में
चढ़ना है हमें चंदा की तरह
सूरज की तरह नहीं ढ़लना हैको: हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम हैं वो दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना हैमैं पास रहूँ या दूर रहूँ
ये बात अभी तुम से कह दूँ
मैं पास रहूँ या दूर रहूँ
ये बात अभी तुम से कह दूँ
हँसना ही नहीं फूलों कि तरह
दीपक की तरह हमें जलना हैको : हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है वो दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना हैआकाश से आती है ये सदा
ग़म आए अगर तो जी न ढला
आकाश से आती है ये सदा
ग़म आए अगर तो जी न ढला
कभी ग़म हैं यहाँ, कभी हैं ख़ुशियाँ
हर हाल में हम को पलना हैको : हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है वो दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है