बिगड़ी मेरी बना दो ऐ शाह-ए-मदीना - The Indic Lyrics Database

बिगड़ी मेरी बना दो ऐ शाह-ए-मदीना

गीतकार - नक्षबी | गायक - पारुल घोष | संगीत - राशिद अत्रे | फ़िल्म - नतीजा | वर्ष - 1947

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चाँदनी रात और तारे खिले हों

खु : चाँदनी रात और तारे खिले हों

सै : तारों की छैंयाँ में दो दिल मिले हों

खु : चाँदनी रात और तारे खिले हों

सै : बदरिया में चन्दा घड़ी भर को जाये

खु : कोई मेरे कानों में कुछ कहने आये

सै : मानूँ तो हँस दे

खु : न मानूँ तो रूठे

सै : दुनिया जिसे चाहे वो सिलसिले हों

खु : चाँदनी रात और तारे खिले हों

सै : मैं चुप हूँ

मैं चुप हूँ तो उनका जिया बैठा जाये

खु : मैं टोकूँ

मैं टोकूँ तो उनका जिया तलमलाये

कभी मैं मनाऊँ कभी वो मनायें

सै : निगाहें मिलें गुल सारे खिले हों

दो : चाँदनी रात और तारे खिले हों

तारों की छैंयाँ में दो दिल मिले हों

चाँदनी रात और तारे खिले हों