जग दिल ए दीवाना रुत जागी वास्ल ए यार की - The Indic Lyrics Database

जग दिल ए दीवाना रुत जागी वास्ल ए यार की

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - ऊँचे लोग | वर्ष - 1965

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(जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ़ में आयी है सबा प्यार की )-२
जाग दिल-ए-दीवाना(दो दिल के कुछ लेके पयाम आयी है
चाहत के कुछ लेके सलाम आयी है )-२
दर पे तेरे सुबह खड़ी हुई है दीदार की
जाग दिल-ए-दीवाना ...(एक परी कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुई शबनम में तेरी याद की )-२
भीग रही होगी कहीं कली सी गुलज़ार की
जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ में आयी है सबा प्यार की
जाग दिल-ए-दीवाना