आज पूरानी राहों से, कोई मुझे आवाज ना दे - The Indic Lyrics Database

आज पूरानी राहों से, कोई मुझे आवाज ना दे

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आदमी | वर्ष - 1968

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आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ ना दे
दर्द में डूबे गीत ना दे, ग़म का सिसकता साज़ ना दे
बीते दिनों की याद थी जिन में, मैं वो तराने भूल चूका
आज नई मंज़िल है मेरी, कल के ठिकाने भूल चूका
ना वो दिल ना सनम, ना वो दिन धरम
अब दूर हूँ सारे गुनाहों से
टूट चुके सब प्यार के बंधन, आज कोई जंजीर नहीं
शीशा-ए-दिल में अरमानों की, आज कोई तस्वीर नहीं
अब शाद हूँ मैं, आज़ाद हूँ मैं
कुछ काम नहीं है आहों से
जीवन बदला, दुनिया बदली, मन को अनोखा ज्ञान मिला
आज मुझे अपने ही दिल में, एक नया इंसान मिला
पहुँचा हूँ वहाँ, नहीं दूर जहाँ
भगवान भी मेरी निगाहों से