झूम रह है रोम रोम क्यों बसंत है आया रंगीला - The Indic Lyrics Database

झूम रह है रोम रोम क्यों बसंत है आया रंगीला

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - जब प्यार किसी से होता है | वर्ष - 1961

View in Roman

अश: आ~~
झूम रहा है रोम रोम क्योँ
तनु मन लेहराया
थिरक रहा है अंग अंग क्योँ
कौन आज आया, राजन, कौन आज आया

ंअहेन्द्र ख़पोओर:
राजन कौन, कौन महाराजन
कौन आज दुष्यंत
स्वागत करो आज आए हैं श्री
ऋतु राज बसंत

कोरस: आ~~
आशा: आ~~ बसंत है आया~~
कोरस: बसंत है आया रंगीला
आशा: बसंत है आया~~
कोरस : बसंत है आया रंगीला~~
बसंत है आया रंगीला
बसंत है आया

आशा: मन की कोकिला लगी चहकने
आज साँस भी लगी महकने
मन की कोकीला लगी चहकने
आ~~
कोरस: मन की कोकिला लगी चहकने
आज साँस भि लगी महकने
आशा: मधुमदमाती अंग अंग में नया रंग छाया~~
कोरस: नया रंग छाया~~

महेंद्र: आ बसंत का मास खुला आकाश, बढ़ रही प्यास
नैन तन मन सब डोले रे
कोरस: डोले रे
आशा: चले मदन के बाण सजन हे प्रण कोई
अंजान नाच के बंधन खोले रे
कोरस: खोले रे
आशा: थर थर थर प्रीत करे बेल सी
बलखाती काया आ~~
कोरस: बलखाती काया आ~~