मांग में भर ले रंग सखी रि - The Indic Lyrics Database

मांग में भर ले रंग सखी रि

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - सहगान, आशा भोंसले | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - | वर्ष - 1963

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[hysterical giggling]माँग में भर ले रंग सखी री
आँचल भर ले तारे, मिलन ऋतु आ गई
जाएगी तू उन संग सखी री
जो तोहे लागे प्यारे, मिलन ऋतु आ गई
मिलन ऋतु आ गई ...कोई चाँदी के रथ में आया है
मेरे बाबुल, मेरे बाबुल की राजधानी में
मैं उसे देखती हूँ छुप-छुप कर
एक हलचल सी है जवानी में
तड़के इक-इक अंग सखी री
आज ख़ुशी के मारे, मिलन ऋतु आ गई
मिलन ऋतु आ गई ...सुर्ख़ चूड़ा है मेरी बाहों में
सुर्ख़ जोड़ा मेरे बदन पर है
सब की नज़रें हैं मेरे चहरे पर
और मेरी नज़र सजन पर है
मचली जाए उमंग सखी री
धड़कन करे इशारे, मिलन ऋतु आ गई
मिलन ऋतु आ गई ...मेरी डोली सजा रहे हैं कहार
फूल बिखरे हुए हैं राहों में
जिनकी बाहों की आरज़ू थी मुझे
जा रही हूँ मैं उनकी बाहों में
अंगना लागे तंग सखी री
पिया जब बाँह पसारे, मिलन ऋतु आ गई
मिलन ऋतु आ गई ...