मन साजन ने हर लीन्हा - The Indic Lyrics Database

मन साजन ने हर लीन्हा

गीतकार - शकील | गायक - लता | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शबाब | वर्ष - 1954

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मन साजन ने हर लीन्हा
जो मैं जानती बिसरत हैं सैंया
घुँघटा में आग लगा देती
मैं लाज के बंधन तोड़ सखी
पिया प्यारे को अपने मना लेती
( मेरे हार-सिंगार की रात गई
पियू संग उमंग मेरी आज गई )
घर आए ना मोरे साँवरिया
मैं तो तन-मन उनपे ओ
मैं तो तन-मन उनपे लुटा देती
जो मैं जानती
( मोहे प्रीत की रीत न भाई सखी
मैं बनके दुल्हन पछताई सखी )
होती ना अगर दुनिया की शरम
उन्हें भेज के पतियाँ ओ
उन्हें भेज के पतियाँ बुला लेती
जो मैं जानती