भूल जायें सारे ग़म, डूब जायें प्यार में - The Indic Lyrics Database

भूल जायें सारे ग़म, डूब जायें प्यार में

गीतकार - परवेज शम्सी | गायक - लता, रफ़ी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - नौशेरवां-ए-आदिल | वर्ष - 1957

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भूल जायें सारे ग़म, डूब जायें प्यार में
दो: बज रही है धुन यही, रात के सितार में
भूल जायें सारे ग़म


र: हँस रहे है फूल जो,गा रहा है गुल्सिता
ल: गा रहा है गुल जहां,गा रहा है आसमां
र: (तू ही तू है सदा)-2
लाख में हज़ार में
दो: भूल जायें सारे ग़म ...

ल: शर्म से जो है डरी, आ नहीं रही हँसी
र: बेखुदी में बेखुदी, कर रही है गुदगुदी
ल: (हम रहे करार में)-2
दिल न है करार में
दो: भूल जायें सारे ग़म ...

र: इश्क़ में जहर्(?) है, कुच हमें खतर नहीं
दो: इश्क़ में जहर है, कुच हमें खतर नहीं
ल: (बिजलियों से डर नहीं)-2
दो: (चलती जायें आशियाँ)-2
थामकर बहार में
दो: भूल जायें सारे ग़म$