आज तो बिजलिया गिराने की शाम हैं - The Indic Lyrics Database

आज तो बिजलिया गिराने की शाम हैं

गीतकार - कमलेश पांडे | गायक - उषा रेगे, मीना ताड़कर, शिल्पी सेनगुप्ता, नूतन सेनगुप्ता, सागरिका मुखर्जी | संगीत - भास्कर चंदावरकर | फ़िल्म - थोड़ासा रूमानी हो जाए | वर्ष - 1990

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(लड़कियाँ:)मेहमान सब आते ही होंगे
जल्दी से निपटा लो जो काम है
आज की शाम ना बरबाद करो -२
आज तो बिजलियाँ गिराने की शाम है -२ज़रा ठहरो ज़रा ठहरो, सँभालो अपना गजरा
लगा तो लो आँखों में काली घटा का कजरा
आय हाय हाय हाय
आज तो बिजलियाँ ...अरी कलमुँही मेरी बूँद लगा दे
कोई मेरी lipstickका रंग तो मिलादे
मेरा जुड़ा खिसका, मेरा आँचल बहका
हाय!
तेरी चोली की hookमेरे बालों में फँसी
मेरी clipहुई गुम तुझे आती है हँसी!
अपने सैंया को बुला ले
अपनी clipढुँढ़वा ले
अपना बूँदा लगवा ले
अपनी चोली कसवा ले
ले ले हाय हायआज तो बिजलियाँ ...From here on, spoken lines except for the refrain(अनिता कँवर:)
ऐ पलटन! शादी तुम्हारी है कि लोपा की?(लड़कियाँ:)ओ दीदी! तुम न समझोगी!
बिन्नी दीदी! तुम न जानोगी!
तुम्हें क्या पता कि एक ही शादी में कितनी निगाहें चार होती
हैं?
शादी सहेली की हो या हो किसीकी
कितने छुप छुप के वार होते हैं?
कैसे लड़के पटाए जाते हैं
कितने दुल्हे फँसाए जाते हैं!
इस लिये ऐ शरीफ़ लड़कियों, चलो,
अपने हुस्न का तूफ़ान लेकर!
इस पार हम लड़कियों की क़तारें हैं
और उस पार? सब के सब कुँवारे हैं!हाय हाय हाय हाय
(आज तो बिजलियाँ गिराने की शाम है
शाम है) -२बिन्नी दीदी, तुम हम सब से बड़ी हो
पर शादी के मैदान में कब से अकेली खड़ी हो!
इस लिये हमारी मान लो
वरना यूँ ही रह जाओगी, ये जान लो!