जब दर्द नहीं था सीने में, तब खाक मजा था जीने में - The Indic Lyrics Database

जब दर्द नहीं था सीने में, तब खाक मजा था जीने में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - अनुरोध | वर्ष - 1977

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ना हँसना मेरे ग़म पे इन्साफ़ करना
जो मैं रो पडूँ तो मुझे माफ़ करना
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक मज़ा था जीने में
अब के शायद हम भी रोए
सावन के महीने में
यारों का ग़म क्या होता है
मालूम न था अन्जानों को
साहील पे खड़े हो कर हमने
देखा अक्सर तूफ़ानों को
अब के शायद हम भी डूबे
मौजों के सफ़ीने में
ऐसे तो ठेस ना लगती थी
जब अपने रूठा करते थे
इतना तो दर्द ना होता था
जब सपने टूटा करते थे
अब के शायद दिल भी टूटे
अब के शायद हम भी रोए
सावन के महीने में
इस कदर प्यार तो कोई करता नहीं
मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं
आपके सामने मैं ना फिर आऊँगा
गीत ही जब ना होंगे, तो क्या गाऊँगा
मेरी आवाज़ प्यारी है तो दोस्तों
यार बच जाए मेरा दुआ सब करो